Friday 30 September 2016

मोदी बोले- सत्याग्रही गुलामी से मुक्ति दिलाता है तो स्वच्छाग्रही गंदगी से




नई दिल्ली.नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को दिल्ली में स्वच्छता को लेकर एक प्रोग्राम में स्पीच दी। इंडिया सेनिटेशन कॉन्फ्रेंस में मोदी ने कहा, "गंदगी किसी को पसंद नहीं होती। स्वच्छता अभियान बहुत कम समय में अपनी जड़ों को जमाने में सफल हो रहा है।" मोदी ने ये भी कहा, "सत्याग्रही गुलामी से मुक्ति दिलाता है, स्वच्छाग्रही गंदगी से।" क्या बोले मोदी...
- "2 अक्टूबर को हम महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मनाने जा रहे हैं।"
- "किसी को भी गंदगी पसंद नहीं होती है। इसके प्रति एक नफरत का माहौल पैदा होना चाहिए।"
- "स्वच्छता अभियान बहुत जल्द अपनी जड़ें जमाने में कामयाब हुआ है।
- इन दिनों राजनेता और पार्टियां बहुत पीछे छूट गई हैं। स्वच्छता में जनता आगे निकल गई है।"
- "गंदगी देखने से ही मन अस्वस्थ हो जाता है। शहरों के बीच कॉम्पिटीशन का माहौल बन गया है। मीडिया ने भी सरकार के कैम्पेन को सराहा है।"
- "घर में कोई मेहमान आता है तो हम गंदगी साफ कर देते हैं।"
- "हम सुबह उठकर अपना स्कूटर साफ करते हैं, लेकिन धीरे से बस की सीट में ऊंगली से छेद कर देते हैं। हममें से सबने ये काम किया होगा।"
- "हम ये भूल जाते हैं कि स्कूटर तो मेरा है लेकिन बस तो सरकार की है। ये भाव होगा चाहिए कि देश भी मेरा है, बस भी मेरी है।"
'चाहे कुछ हो या ना हो टॉयलेट तो बनना ही चाहिए'
- "स्वच्छता के लिए हम सब मूल मंत्र लेकर चले कि अब देश को गंदा नहीं रहने देंगे। सरकार ही नहीं देशवासियों को भी तय करना होगा कि देश से गंदगी को मिटाना है।"
- "एक बार आंगनवाड़ी में गया, उस गरीब बहन ने पुरानी साड़ी के छोटे-छोटे रुमाल बनाए। बच्चों को सिखाती थी कि इसमें हाथ और नाक पोंछे। क्या देश के किसी नेता ने ऐसा काम किया।"
- "देश आजाद हुआ लेकिन कभी संसद में चर्चा हुई। ऐसा ना समझे कि मोदी आया तो गंदगी बढ़ गई।"
- "अब लोगों में माहौल बन गया है कि चाहे कुछ हो या ना हो टॉयलेट तो बनना ही चाहिए। साफ-सफाई (वेस्ट मैनेजमेंट) से नगरपालिकाएं धन कमा सकती हैं।"
- "मेरे विधानसभा क्षेत्र में एक नाला था सभी लोगों को लगता था कि कुड़ा-कचरा इसी में डालें। गंदगी के चलते उस इलाके में फ्लैट्स की कीमत घट गई थी, जो अब 20 लाख हो गई है।"
- "अगर वेस्ट में से वेल्थ क्रिएट करें तो बहुमूल्य जमीनों का सही इस्तेमाल भी कर सकते हैं।"
- "कुछ मंदिरों में फूल भी गंदगी में बदल जाते हैं। कई लोग इससे कंपोस्ट बनाने लगते हैं।"
- "मेरा मलतब है कि हम गंदगी को वेस्ट ना मानें। वेल्थ के तौर पर देखें तो गंदगी अपने आप दूर हो जाएगी।"
- "हमारी दादी पुराने कपड़ों को रिसाइकिल करती थी। पानी की अभाव और प्रभाव भी स्वच्छता के लिए संकट पैदा करता है।"
- "कचरे से बिजली पैदा हो सकती है, जिसे सरकार खरीदेगी। नौजवानों से कहता हूं कि ऐसी टेक्नोलॉजी बनाएं। जिससे ऊर्जा बनाई जा सके।" 

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